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Sunday, October 22, 2017

भोजपुरी की इमेज बदल देगी ये लघु फिल्म - आंखें नम हो जाएँगी

भोजपुरी बिहार की और यूपी के पूर्वांचल की प्रमुख भाषा है...और बिहारी आदमी की पहचान का एक अति आवश्यक अंग भी है। पिछले कुछ बरसों में भोजपुरी में फूहड़ और द्विअर्थी गीतों का प्रचलन बढ़ा है। और इस आधार पर इस भाषा और इसके बोलने वालों पर फूहड़ता का एक टैग लगा  दिया गया है।

जबकि सच यह है कि हर भाषा में अश्लील और श्लील की पहचान है...दोनों तरह का संगीत सिनेमा और साहित्य उपलब्ध है। लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं ये सुनकर की 1950 से 1980 तक भोजपुरी गाने हिंदी सिनेमा के अभिन्न अंग रहे हैं। रफी, मुकेश, मन्ना डे, लाता मंगेशकर, आशा भोसले जैसे गायकों ने कई कालजयी भोजपुरी गीतों को अपना स्वर दिया है। बस पिछले कुछ सालों में भोजपुरी गीतों और चलचित्रों का स्तर गिरा है।आज भी उम्दा फिल्में और गीत बनते हैं। बस अंतर यह है कि...भोजपुरी में साफ सुथरा विकल्प बहुत कम है। 

अपनी मातृभाषा के इस अपमान से दुखी आधुनिक शिक्षा और तकनीक से संपन्न कुछ युवाओं ने पुरुआ नाम से एक संस्था बनाकर साफ सुथरे संगीत और सार्थक फिल्में देने की शुरुआत धियापूता नाम से एक फिल्म आज यूट्यूब पर रिलीज के साथ की है। जब पुरुआ की शुरुआत हुई तो शायद किसी ने सोचा भी नही था कि वो महज 2-3 महीनों में इस मुकाम तक पहुंच जाएगी।

आज यूट्यूब पर उनके कुछ वीडिओज़ के 75-80000 व्यूज हैं। और उनकी लघु फ़िल्म में कई नामचीन कलाकार।

धिया पूता नामक इस फिल्म के साथ बेटियों को बराबर का महत्व देने और छठ माई से पौत्री की कामना के साथ उनके महत्व को रेखांकित किया गया है। छठ पर्व भोजपुरी भाषी समाज का सबसे बड़ा पर्व है। इसे केन्द्र में रखकर एक छोटी सी लेकिन अत्यंत ही भावुक कहानी गढ़ी गयी है। मेघा डाल्टन के स्वर में एक मधुर गीत है।  सीमा बिश्वास और सत्यकाम जी का अभिनय उत्कृष्ट है। राजू उपाध्याय एक प्रतिभावान उभरते कलाकार हैं जो अपनी कला से हमेशा मुग्ध करते हैं।


हमारा भारत एक बहुभाषी देश है यहां की संस्कृती में भी एक विविधता है जो विश्व के किसी भी देश में नहीं है उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम विभिन्न पर्व-त्योहारों और उत्सव का यह देश अपने आप में अद्भुत है उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार के बड़े भाग में भोजपुरी भाषा बोली जाती है ।इस भाषा से जुड़े लोग दुनिया भर में फैले हैं नीदरलैंड सूरीनाम गुयाना फिजी इन देशों में तो भोजपुरी एक प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित है अन्य बड़े देशों में भी भोजपुरी क्षेत्रों से बहुत सारे बौद्धिक और श्रमिक वर्ग के लोग काम की तलाश में गए हैं भारत में भी विभिन्न प्रदेशों में भोजपुरी लोगों की एक विशाल संख्या है हर बड़े शहर में इनकी उपस्थिति है भोजपुरी लोग बड़े ही कर्मठ और जीवन वाले व्यक्ति होते हैं छोटे से लेकर छोटा काम और बड़े से लेकर बड़ा काम हर जगह इन की उपस्थिति  है।

सच पूछिए तो हिन्दी को अखिल भारतीय पहचान देने में इस वर्ग का बहुत योगदान है। अब यह वर्ग अपनी असली भाषा के प्रति जागृत हो रहा है। और जरूरत है इस वर्ग को दो कदम आगे बढ़ा कर इस सराहनीय प्रयास को हरसंभव सहायता करने की। ताकि ये भविष्य में और भी उम्दा कार्य करें।

धियापूता यूट्यूब के माध्यम से ग्लोबल आडिएंस के लिए भी एक बहुत बेहतरीन फिल्म है। इसका संदेश और संगीत बरसों याद किया जाएगा। और इसमें सम्मिलित कलाकारों का मानना है ये फ़िल्म निस्संदेह आपकी आंखों में अश्रुओं की धारा ले आएगी।

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